201+ Best kabir ke dohe in hindi pdf
अगर आप कबीर के दोहो को पढ़ना पसंद करते है तो आज आपके लिए हम 201+ Best kabir ke dohe in hindi pdf के रूप में प्रदान कर रहे है। इस आर्टिकल में आपको संक्षिप्त में कुछ दोहो को अर्थ भी एक्सप्लेन करेंगे।
आज हिंदी साहित्य में संत कबीर को उनके दोहो के वजह से वेसेस स्थान प्राप्तः है, और अगर आप हिंदी साहित्य को पढ़ना पसंद करते है तो आपको सबसे पहले कबीर के दोहो को पहले पढ़ाना पसंद करते है।
संत कबीर एक ऐसे साहित्यकार है जिन्हे आज भी कई कॉम्पटेटिव एग्जाम में केस स्टडी के रूप में पढ़ा जाता है, और उन्हें अब तक का सबसे गहरा और सच्चा साहित्यकार माना जाता है।
संत कबीर का जन्म वाराणसी के लहरतारा १३९८ में एक जुलाहे परिवार में हुआ था। संत कबीर पढ़े लिखे नहीं थे, फिर भी उन्हें भारतीय कवियों में सबसे महान कवि माना जाता है, उनके लिखे गए दोहो को आज भी कई लोग पढ़ना पसंद करते है।
कबीर के दोहे (kabir ke dohe in hindi pdf)
1
बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंछी को छा या नहीं फल ला गे अति दूर।।
भावार्थ – इसका मतलब यह है की आप अपने जीवन में कितने भी सफल क्यों न हो अगर आप किसी और की मदद करने में सक्षम नहीं है तो आप उस खजूर के पेड़ की तरह है जो न किसी को छाँव दे सकता है अगर फल भी इतने दूर होते जिससे हर किसी को नसीब नहीं हो सकता है।
2
आय हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर।
एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बँधेे जात जंजीर॥
भावार्थ – इस दुनिया में जो भी आया है चाहे वो राजा हो या रंक उसे एक दिन यहाँ से जाना ही पड़ेगा, इसके बावजूद भी लोग जात पात और सिंहासन के विवादों में ही फंसा रहता है और जिंदगी बर्बाद कर लेता है।
3
न दिए धन ना घते, नदी ने घटे नीर।
अपनी आँखों देख लो , यों क्या कहे कबीर।।
भावार्थ – कबीर जी कहते है कि जिस प्रकार नदी से १ लोटा पानी निकलने से नदी का पानी कम नहीं होता उसी प्रकार कभी भी दान देने से आपका धन नहीं घटता है।
4
दस द्वारे का पिंजरा , ता मे पंछी का कौन।
रहे को अचरज है, गए अचम्भा कौन॥
भावार्थ – कबीर दाश का कहना कि हमारी आत्मा शरीर रूपी पिंजरे के अंदर एक पंछी की तरह बंद है जिसे एक दिन इस पिंजरे से उड़ जाना है इसलिए कभी भी मरने से नहीं डरना चाहिए।
5
हीरा वहाँ ना खोलिये, जहाँ कुजड़ों की हाट।
बांधो चुप की पॉटरी , ला गहू अपनी बाट॥
भावार्थ – कबीर दास का कहना है कि ज्ञान उस हीरे की तरह है जिसकी पोटली को उसी के सामने खोले जहा उसकी क़द्र हो अन्यथा उस ज्ञान रूपी को बांधकर रखे और आगे बढ़ जाये।
6
कुटिल वचन सबसे बुरा , जारी कर तन हार।
साधु वचन जल रूप, बरसे अमृत धार॥
भावार्थ – कबीर दास कहते है कि जिस प्रकार कठोर वचन बोलने से आप किसी को भी कुंठित कर सकते है। उसी प्रकार मीठे वचन जल के तरह शीतल होता है जिससे वह अमृत की तरह ह्रदय को लाभ पहुँचता है।
7
सोवा साधु जगा इए, करे नाम का जाप ।
यह तीनों सोते भले, सकित सिंह और साँप ॥
भावार्थ – कबीर दास ने इस दोहे में इन्सान की प्रवृति के बारे में बताया है , मतलब दुस्ट इंसान सोये हुए साँप और सिंह की तरह होता है जिसे जगाने पर वह आप पर हिंसा कर सकता है। उसी तरह अगर आप किसी साधु या संत को नीड से जगायेगे तो वह आपको अच्छी और ज्ञान की बात बतायेगा।
8
बाजीगर का बादरां , ऐसा जीव मन के साथ।
नाना नाच दिखाय कर, राखे अपने साथ॥
भावार्थ – कबीर दास जी कहते है की जिस प्रकार बन्दर का मदारी बन्दर को इसारे देकर उसके नाच से दुसरो का और अपना मनोरंजन करता है, उसी प्रकार हमारा मन उस मदारी की तरह हमें वश में कर हमें भी भटकाने का प्रयाश करता है।
9
अटकी भाल शरीर में तीर रहा है टूट।
चुम्बक बिना नि कले नहीं कोटि पटन को फ़ूट॥
भावार्थ – कबीर दास जी कहते है कि जिस प्रकार किसी योद्धा के तीर लग जाने पर उसकी नोख शरीर में ही रह जाए तो चुम्बक के इस्तेमाल से ही उसका उपचार किया जा सकता है उसी प्रकार आपके मन को बुराई से बचाने के लिए सद्गुरु रूपी चुम्बक का होना आवश्यक है।
10
कबीरा जपना काठ की , क्या दिखला वे मोय।
ह्रदय ना मन जपेगा , यह जपनी क्या होय॥
भावार्थ – कबीर कहते है कि लकड़ी की माला जपने से ईश्वर को खुस करना बेकार है इससे अच्छा यह है की सच्चे मन से प्रार्थना ईश्वर की प्रार्थना करें।
11
माला फेरत जुग भया , फिरा न मन का फेर ।
कर का मन का डार दें, मन का मनका फेर ॥
भावार्थ – कबीर दास जी कहते है कि मन को शांत मोतियों की माला फेरकर नहीं किया जा सकता है, इसके बजाय अपने मन के विचारो का मंथन करे जिससे मन शांत हो जायेगा।
Pdf Name | Kabir Ke Dohe In Hindi |
Author | Kabir Das |
File Type | |
Pdf Size | 1 MB |
Pdf Pages | 52 |
दोस्तों इस आर्टिकल में मैंने आपको kabir ke dohe in hindi pdf में कुछ दोहो को शो कर उसका भावार्थ बताने की कोसिस की है, अगर आपको इसमें कुछ गलत लगता है या सुधार करने जरुरी लगता है तो निचे कमेंट कर के अवश्य बताये।
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